हिंदी साहित्य में गाँधी विचारधारा की आवश्यकता का अध्ययन

Authors

  • Dr. Anita kumari Assistant Professor in Hindi Vaish college of law, Rohtak

Keywords:

वतिमान, युग

Abstract

गाांधी जीवन और ववचारधारा एक समाजवादी एवां अहहांसक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं जो आज के समाज को आधुननक युग में भी अत्यांत आवश्यक है। आधुननक युग में सामाष्जक जीवन बहुत ही व्यस्त और तनावपूणि है जो लोगों को बहुत से चुनौनतयों का सामना करना पड़ता है। गाांधी जीवन और ववचारधारा में अहहांसा का र्सदधाांत आज के समय में बहुत जरूरी है। लोग अपने आप को सामाष्जक दबावों, स्तरणों और ष्स्िनतयों में पाने के र्लए बाध्य महसूस करते हैं, इसर्लए अहहांसा का र्सदधाांत उन्हें एक सुलझा हुआ मागि हदखा सकता है। गाांधी जी के आधुननक सोच में समाज के सभी वगों के र्लए समानता और समाज की पहुांच को बढाने का सांदेश होता है। आज के समय में भी, असमानता का मुददा एक बड़ी समस्या है जो समाज के ववर्भन्न वगों में नाराजगी और दवांदवों को बढाती है। गाांधी जी के आधुननक सोच को अपनाकर, समाज की असमानता को कम करने के र्लए समाज में स्वच्छता एवां स्वच्छता के प्रनत जागरूकता का बढता महत्व भी गाांधीजी के आधुननक सोच के अनुसार है। आज के युवाओां को इस मुहहम को आगे बढाने और वास्तववकता के साि एक स्वच्छ वातावरण बनाए रखने की जरूरत है।

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Published

2024-05-15

How to Cite

kumari, D. A. (2024). हिंदी साहित्य में गाँधी विचारधारा की आवश्यकता का अध्ययन. Innovative Research Thoughts, 3(2), 128–132. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1225