गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में राजनैतिक यथार्थ
Keywords:
राजनैतिक, बन्दर, रचनाकार, उपन्यासकार, गााँधी जी, मनुष्य, समाज, महत्वपूर्ण अंगAbstract
आज राजनीति जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है। मनुष्य की दैतनक आवश्यकिाओं, जीने की अतनवायणिाओं से राजनीति का संबंध गहरा होिा जा रहा है। इसलिए जरूरिों को देखिे हुए जनिा की ककसी न ककसी प्रकार से राजनीति से सम्बन्ध रखना पड़िा है। इसलिए कोई भी साहहत्यकार समकािीन राजनीति से उदासीन नहीं रह सकिा। राजनीति और सत्ता के बीच जब िक गठबन्धन रहेगा िब िक उसका सम्बन्ध मनुष्य के साथ भी रहेगा। व्यक्ति, अथण, समाज, पररवार, धमण, राष्र आहद के हर पहिू में आज राजनीति की महत्वपूर्ण भूलमका है।
हहन्दी के उपन्यासों में राजनीति का आगमन प्रेमचन्द से होिा है। उनके उपन्यासों में गााँधी जी और उनके दर्णन से प्रभाववि जन आन्दोिन, सुधारवादी आन्दोिनों का वर्णन बहुि अधधक लमििा है। ‘‘प्रेमचन्द के उपन्यासों में गााँधी युग और गााँधी दर्णन दोनों का व्यापक धचत्रर् है। उनके प्रेमाश्रम, रंगभूलम में गााँधी जी के जन आन्दोिन की अलभव्यक्ति लमििी है।’’1
स्विंत्रिा के बाद हहन्दी उपन्यासों में राजनीति का प्रभाव अधधक है। गााँधीवाद के ह्रास और मात सणवाद की बढ़िी िोकवप्रयिा के कारर् समाजवादी चेिना का ववकास िेज गति से होने िगा। भारि ववभाजन को भी उपन्यासों में प्रमुखिा से जगह दी गई। आज राजनीति में राजनैतिक नैतिकिा या ईमानदारी का अभाव है तयोंकक आज की राजनीति सत्ता केक्न्िि है। वह सत्ता को बनाये रखने के लिए आदर्ों व लसदधांिों के साथ समझौिा करने को िैयार है। राजनीति में आए इस पररविणन को उपन्यासकारों ने पहचान लिया और इसे अपनी रचना का ववषय बनाया है। गोववन्द लमश्र भी एक ऐसे सुक्ष्म दृष्टा रचनाकार है क्जन्होंने विणमान राजनीति को पहचान लिया और उसको आम जनमानस के सामने प्रस्िुि ककया। ‘‘पााँच आाँगनों वािा घर’’,‘‘हुजूर दरबार’’, ‘‘फूि इमारिें और बन्दर’’ इस के लिए पयाणप्ि लमसािे हैं।
References
गोववन्द लमश्र - पााँच अाँगनों वािा घर, पृष्ठ संख्या-32इन्िनाथ मदान - प्रेमचन्द: एक वववेचन, पृष्ठ संख्या-17
गोववन्द लमश्र - पााँच अाँगनों वािा घर, पृष्ठ संख्या-32
वही, पृष्ठ संख्या-35
वही, पृष्ठ संख्या-61
गोववन्द लमश्र-हुजूर दरबार, पृष्ठ संख्या-89
वही, पृष्ठ संख्या-85
वही, पृष्ठ संख्या-91
वही, पृष्ठ संख्या-232
वही, पृष्ठ संख्या-266
गोववन्द लमश्र, पााँच आाँगनों वािा घर’’, पृष्ठ संख्या-122
वही, पृष्ठ संख्या-88
गोववन्द लमश्र, फूि, इमारिें और बन्दर, पृष्ठ संख्या-130
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