वैदिक वास्तु एवं स्थापत्य: भवन निर्माण के विशेष सन्दर्भ में

Authors

  • डॉ शोभा मिश्रा सहायक प्राध्यापक, (इतिहास) हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय साांध्य कालीन अध्ययन विभाग, द मॉल, शिमला

Keywords:

वैदिक वास्तु, वास-गृह, स्कम्भ, वास्तोस्पनत, धार्मिक, सांस्कृति, समकालीन, गृह तनमाभण

Abstract

िैहदक साहहत्य विश्ि का प्राचीनिम ज्ञान विज्ञान का स्रोि है। िैहदक िाांग्मय में अनेकों ऐसे वििरण और सांदभभ में शमलिे हैं जिनके आधार पर हम यह कह सकिे हैं कक ित्कालीन समाि पशुपालकों कबायशलयों का नहीां अवपिु सामाजिक, आर्थभक, धाशमभक एिां साांस्कृतिक रूप से सुगहिि समाि था। अब िक मान्य ऐतिहाशसक काल क्रमानुसार इस की पूिभििी शसांधु सरस्ििी सभ्यिा नगर प्रधान सभ्यिा थी और िैहदक सभ्यिा ग्राम्य थी,यह एक प्रकार से सभ्यिा के विकास चक्र को उल्टा घुमाने के समान है। स्थापत्य और िास्िु के प्राचीनिम पुरािाजत्िक साक्ष्य शसांधु सरस्ििी सभ्यिा से शमलिे हैं िही प्राचीनिम साहहजत्यक स्रोि िैहदक साहहत्य है। शसांधु सरस्ििी सभ्यिा की शलवप यहद पढ़ ली िािी है िो सांभििः ऐसी पुजटट हो जिसमें िैहदक एिां सैंधि सांस्कृति को समकालीन माना िा सकिा हैं, जिसमें नगर भी थे और ग्राम भी। िैहदक िाांग्मय में अनेकों ऐसे िथ्य और वििरण है िो ग्राम, नगर की सांरचना, गृह तनमाभण, दुगभ तनमाभण, िेहदका, िोरण, यूप, यज्ञ िेदी, र्चति आहद के तनमाभण की बाि करिे हैं। िैहदक तनमाभण के ये अनेकों लक्षण बाद के युग में भी व्यिहाररि होिे रहे हैं और आि भी हो रहे हैं।

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- ऋग्िेद, I.32.2

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Published

2022-12-30

How to Cite

डॉ शोभा मिश्रा. (2022). वैदिक वास्तु एवं स्थापत्य: भवन निर्माण के विशेष सन्दर्भ में . Innovative Research Thoughts, 8(4), 314–321. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1210