पुस्तकालयों में संसाधनों और सेवाओं के उपयोग पर एक लघु अध्ययन
Keywords:
पुस्तकालय, संसाधन और सेवाएं, आध्यात्मिक, संसाधन, मानवता, संस्कृति, आन्दोलनAbstract
पुस्तकालय वह स्थान हैं जहाँ विविध प्रकार की पुस्तकें पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, पॉडुलिपियां फिल्में नक्शे, प्रिंट, दस्तावेज ई-किताबें ऑडियों, पुस्तकों, डेटाबेस आदि का संग्रह रहता हैं। लाइब्रेरी शब्द की उत्पत्ति लेटिन शब्द लाइवर से हुई जिस का अर्थ हैं, पुस्तक। पुस्तकालय एक सामाजिक जन संस्था है जो निरंतर समाज कल्याण में रहते हुए ज्ञानी और अज्ञानी को समान रूप से ज्ञान वितरित करती हैं। यह एक सेवाभावी संस्था है और जन-जन की बौद्धिक क्षुधा को शान्त करने का सक्षम साधन हैं। पुस्तकालय और समाज को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता पुस्तकालय मानवता के विकास की आधारशिला हैं। किसी भी देश की संस्कृति तथा सभ्यता उसके पुस्तकालय में सुरक्षित रहती हैं। पुस्तकालय बौद्धिक, सांस्कृतिक, मानसिक आध्यात्मिक तथा व्यावहारिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता हैं। पुस्तकालय किसी भी देश की संस्कृति आन्दोलन का प्रमुख स्रोत होता हैं। अतः प्रत्येक राष्ट्र के जीवन में पुस्तकालय का विशेष स्थान होता हैं। पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था का एक क्रियाशील एवं महत्त्वपूर्ण अंग होता हैं। सदियों से सृजित ज्ञान पुस्तकालय में धीरे-धीरे संचित होता रहता हैं इसलिए पुस्तकालय को संग्रहित ज्ञान का भण्डार कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पुस्तकालय के निर्माण एवं विकास में समाज का अपार धन व्यय किया जाता हैं एवं समाज के ही सदस्यों द्वारा ज्ञान के संसाधनों एवं पुस्तकालयों की सेवाओं का उपयोग किया जाता हैं।
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