राजनीतिक विचारक के रूप में महात्मा गाांधी का मुल्यांकन
Keywords:
सत्य, तवचरण, प्लेटो, समथान, रूसो, आध्यतत्मिकAbstract
गताँधी जी मूलतः एक रतजनीततज्ञ कम और आध्यतत्मिक सन्त अतधक थे। उन्होंने रतजनीतत में सत्य, अत ोंसत, नैततकतत और धमा जैसे तत्हों कह समतत त करने कत जह प्रयतस तकयत व कहई सन्त ी कर सकतत ै, रतजनीततज्ञ न ीों। गताँधी जी के तसद्धतन्तहों और व्यव तर में कहई अन्तर न ीों थे। ईश्वर, आित, परमतित, नैततकतत, धमताति में उनकी ग री आस्थत थी। उनके तलए रतजनीतत धमा तथत नैततकतत की एक शतखत थी। स्वतभततवक थत तक उन्होंने रतजनीतत कत आध्यतिीकरण करने कत समथान तकयत। यद्यतप व समतजवति में तवश्वतस करते थे, तकन्तु मतकर्क्ावतिी वगा-सोंघर्ा तथत त न्सक उपतयहों कत तवरहध करते थे। गताँधी जी अरतजकततवतिी तवचतरहों से स मत थे, लेतकन रतज्य कह नष्ट करने के स्थतन पर व एक अत ोंसतिक रतज्य की स्थतपनत की वकतलत करते थे।प्लेटो, एतिनास, रूसो आति तवचतरकहों की भतोंतत गतोंधीजी केवल कल्पनत की िुतनयत में तवचरण करने वतले व्यत्मि न ीों थे, वरन् गतोंधीजी एक म तन् कमायहगी थे, तजन्होंने भतरत की स्वतन्त्रतत के तलए अपने जीवन की आहुतत िे िी। गतोंधीजी के रतजनीततक तवचतरहों कह 'गाांधीिाद' की सोंज्ञत िी जतती ै।
References
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