शिक्षा व ज्ञान से सामाजिक परिवर्तन सम्भव है - एक समीक्षा

Authors

  • डॉ. रमेश चन्दर (सहायक प्राद्यापक हिन्दी -शिक्षण ) कस्तूरी राम कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन नरेला नई दिल्ली

Keywords:

सामाजिक अध्ययन, अमेरिका, संस्कृति, भूगोल, राजनीति शास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र

Abstract

मानवीय इतिहास मानव जीवन के हजारों वर्षो की कहानी है। मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज के बिना जिन्दा नहीं रह सकता। उसे समाज में रहकर जीवन यापन करना पड़ता है। वह सदैव समाज पर आश्रित रहता है। मानवीय समाज मंे समय के साथ परिवर्तन आया। मानव ने सामाजिक जीवन में प्रगति की। वह गुफाओं और कन्दराओं से निकल कर गाँव में रहने लगा, उसने जंगली जानवरों को मार कर खाना छोड़ दिया तथा उसने कन्द-मूल, फल पर भी निर्वाह करना छोड दिया। अब वह ईंट पत्थर के मकान बना कर रहने लगा। उसे कृषि की जानकारी प्राप्त हुई। वह भूमि पर खेती करने लगा। इस प्रकार मनुष्य अनाज उत्पादक बन गया। शरीर को ढकने के लिये उसने कपड़े बनाने आरम्भ कर दिये। अब तक मनुष्य ने बहुत कुछ खोज लिया था। अपनी इस खोज को उसने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास किया जिससे भाषा का अविष्कार हुआ। धीरे धीरे संस्कृति का निर्माण हुआ। आज मानव जिस उन्नति तक पहुँचा है वह उसके पूर्वजों के कठिन एवं कठोर परिश्रम तथा लगन का परिणाम है। मानव एवं समाज दोनों एक दूसरे पर निर्भर करते है तथा एक दूसरे के पूरक हैं। सामाजिक अध्ययन से अभिप्रायः ऐसे विषय से है जो मानवीय सम्बन्धों की जानकारी प्रदान करता है। सामाजिक अध्ययन का जन्म अमेरिका में हुआ जिसमंे भूगोल, इतिहास, राजनीति शास्त्रा तथा अर्थशास्त्रा का समावेश था। 1911 में कमेटी आॅफ टेन ने इसे समाज शास्त्रा से जोड़कर सामाजिक अध्ययन बना दिया। धीरे धीरे यह विषय इंगलैंड तथा यूरोप के अन्य देशों में भी पूर्ण रूप से विकसित हो गया।

References

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विद्या भूषण एवं सचदेव, डी0आर0: समाजशास्त्र के सिद्धान्त, किताब महल, इलाहाबाद, 2005

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Published

2022-09-30

How to Cite

डॉ. रमेश चन्दर. (2022). शिक्षा व ज्ञान से सामाजिक परिवर्तन सम्भव है - एक समीक्षा. Innovative Research Thoughts, 8(3), 1–6. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1141