चुनाव-और- प्रतितनधित्व की प्रणालियााँ : एक विवेचना

Authors

  • Sushma Rani B.Ed.(G.J.U), M.A(I.G.N.O.U), NET, JRF

Keywords:

चुनाव, राज्य का आकार, लोकतंत्र, शासन, संस्थानों, व्यापक स्तर, वृद्धि

Abstract

चुनाव या ननवााचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ा प्रक्रिया है जिसके द्वारा िनता (लोग) अपने प्रनतननधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आिुननक लोकतंत्रों के लोग वविानयका (और कभी-कभी न्यायपाललका एवं कायापाललका) के ववलभन्न पदों पर आसीन होने के ललये व्यजततयों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय ननकायों के ललये भी व्यजततयों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह ननिी संस्थानों, तलबों, ववश्वववद्यालयों, िालमाक संस्थानों आदद में भी प्रयुतत होता है। चुनाव और प्रनतननधित्व शासन में प्रत्यक्ष रूप से लोगों की भागीदारी सवोत्तम शासन व्यवस्था का आिार है। परन्तु िनसंख्या वृद्धि तथा राज्य का आकार ववशाल होने की विह से िनता प्रत्यक्ष रूप से सरकार के कायो में भाग नही ले सकती। इसीललए प्रनतननिी लोकतंत्र को शासन का आिार बनाया गया है।

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Published

2022-06-30

How to Cite

Sushma Rani. (2022). चुनाव-और- प्रतितनधित्व की प्रणालियााँ : एक विवेचना . Innovative Research Thoughts, 8(2), 85–90. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1134