निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सम्बन्धी बाल अधिकार कानून से पूर्व तथा पश्चात् की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन
Keywords:
निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, बाल अधिकार, क्रियान्वित, कानूनAbstract
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से शिक्षा की महत्ता को किसी भी रूप में नकारा नहीं जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 26 के अनुसार सभी को शिक्षा पाने का अधिकार है। भारतीय संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची में शामिल है। इसके अनुसार केन्द्र और राज्य दोनों ही अपनी-अपनी नीतियां और विधियां निर्धारित कर सकती हैं। इसके पूर्व यह अनुच्छदे 45 के अन्तर्गत शामिल था, जिसे राज्य सरकार क्रियान्वित करने हेतु बाध्य नहीं थी, किन्तु अब इसे अनुच्छेद 2 और 3 में शामिल कर मूल अधिकार की श्रेेणी में लाया गया है। भारत सरकार ने सन् 2009 में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सम्बन्धी बाल अधिकार कानून को पूरे देश में लागू किया। इसी को ध्यान में रखते हुए शोधकत्र्ता ने शिक्षा अधिकार कानून के लागू होने से पूर्व तथा पश्चात् की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन किया। तद्हेतु शोधकत्र्ता ने प्रदत्त संकलन हेतु 20 विद्यालयों का चयन किया। तत्पश्चात् उक्त 20 विद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया के आधार पर अध्ययन किया। प्रदत्तों के विश्लेषण से मिले-जुले परिणाम प्राप्त हुए। कहीं भी निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के प्रभावी होने से पहले एवं बाद की स्थिति में नामांकन प्रक्रिया में कोई विशेष अन्तर नहीं दिखायी दिया और कहीं पर नामांकन प्रक्रिया में अन्तर दिखायी दिया।
References
खान, एव्म्आरव्म् (2005), जीवन कौशल शिक्षा, अजमेरः राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, पृष्ठ संख्या 14
गुप्त, नत्थूलाल (2000), मूल्य परक शिक्षा और समाज, नई दिल्लीः नमन प्रकाशन
गौड, अनिता (2005), बच्चों की प्रतिभा कैसे निखारे, नई दिल्लीः राज पाकेट बुक्स, पृष्ठ संख्या 14
चतुर्वेदी, त्रिभुवननाथ (2005), पारिवारिक सुख के लिए हैः किशोर मन की समझ, न ई-दिल्लीः श्रीविजय इन्द्र टाइम्स, अंक-8, पृष्ठ संख्या 25
चैबे, सरयू प्रसाद (2005), शिक्षा मनोविज्ञान, मेरठः इंटरनेशनल पब्लिकेशन हाऊस, पृष्ठ संख्या 184
चैहान, एसव्म्एसव्म् (1996), सर्वांगीण बाल विकास, नई दिल्लीः करोल बाग, आर्य बुक डिपो, पृष्ठ संख्या 591
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.