दलित महिलाओं के मानवाधिकारों का विश्लेषणात्मक अध्ययनः हरियाणा राज्य के संदर्भ में।

Authors

  • नेहा रानी पी. एच. डी ;शोधार्थीद्ध विभागाध्यक्ष, राजनीतिक विज्ञान चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मुन्ना लाल खेमका गल्र्स काॅलेज, मेरठ, उत्तर प्रदेश
  • प्रोफेसर गुंजन त्रिपाठी विभागाध्यक्ष, राजनीतिक विज्ञान चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मुन्ना लाल खेमका गल्र्स काॅलेज, मेरठ, उत्तर प्रदेश सहारनपुर म्.उंपसरू दमींदमअंस75/हउंपसण्बवउ माँ शांकुभरी यूनिवर्सिटी, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

Keywords:

दलित महिला, मानवाधिकार, सामाज, संविधान, शोषण

Abstract

वर्तमान समय में मानवाधिकारों पर बल दिया जा रहा है अधिकार मानव जीवन के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी होते हैं कोई भी व्यक्ति बिना अधिकारों से अपने जीवन का विकास नहीं कर सकता। लास्की के इस कथन से असहमत होना कठिन है ‘‘कि अधिकार मानव जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिनके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति सर्वोत्तम रूप पाने की आशा नहीं कर सकता’’। वर्तमान युग लोकतंत्र और संविधानवाद का हैै और प्रत्येक राज्य द्वारा अपने क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को अधिकार अवश्य प्रदान किए जाते हैं जिनका उपयोग नागरिक विधिगत सीमा में रहकर करते हैं।1 विभिन्न देशों के संविधानों व कानूनों में महिला एवं पुरूष के लिए समान अधिकार की बात कही गई है लेकिन उसके बाद भी आज महिलाओं के हित और अधिकार सुरक्षित नहीं है। भारतीय समाज में नारी आबादी का लगभग आधा हिस्सा है और देश की आधी आबादी को भागीदारी मुहैया कराए बिना देश की समृद्धि, सुदृढ़ता, सामाजिक संरचना और संपूर्ण विकास असंभव लगता है। विकासशील देश जैसे भारत, मुस्लिम देश आदि में महिला। उत्पीड़न की खबरें आए दिन देखी जा सकती है2। महिला वर्ग में ही दलित महिलाओं की स्थिति गैर-दलित महिलाओं की स्थिति से भी ज्यादा खराब है क्योंकि उन्हें समाज में तिहरे शोषण का शिकार होना पड़ता है लिंग, जाति और गरीबी। दलित महिलाओं को समाज में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से दलित महिलाएँ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कमजोर होती है और अपना विकास नहीं कर पाती। दलित महिलाओं को समाज में लिंग, जाति व गरीबी के कारण दलित पुरूशों के साथ साथ उचच जाति के पुरूषों द्वारा भी प्रताड़ित किया जाता है शिक्षा का स्तर कम होने की वजह से ये महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो पाती जिस वजह से समाज में आज भी इनकी स्थिति में अधिक सुधार नहीं हुआ है इस संदर्भ में यह शोध पत्र हरियाणा में दलित महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण और उनकी सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करता है।

References

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Published

2023-03-30

How to Cite

नेहा रानी, & प्रोफेसर गुंजन त्रिपाठी. (2023). दलित महिलाओं के मानवाधिकारों का विश्लेषणात्मक अध्ययनः हरियाणा राज्य के संदर्भ में।. Innovative Research Thoughts, 9(2), 137–143. Retrieved from http://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/654