मार्कण्डेय के कथा साहित्य में अमानवीयता और उत्पीड़न के विरोध का यथार्थवादी चित्रण

Authors

  • मोनिका उपाध्याय शोध छात्रा (हिन्दी विभाग) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) शोध केन्द्र: शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरैना
  • डाॅ. साधना दीक्षित प्रोफेसर (हिन्दी विभाग) शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुरैना (म.प्र.)

DOI:

https://doi.org/10.36676/irt.v10.i3.1493

Keywords:

दृष्टि, उत्पीड़न, अमानवीयता, तादात्म्य, शोषित

Abstract

कथाकार मार्कण्डेय ने अपनी कहानियों के माध्यम से मनुष्यों को आपस में प्रेम से रहने की प्रेरणा दी है। उनकी दृष्टि प्रगतिशील तथा मानवतावादी है इसलिए किसी भी स्तर पर अमानवीयता एवं उत्पीड़न के वे विरोधी है। वर्तमान समाज में ऊँच-नीच, छूत-अछूत आदि की जो घृणा मूलक प्रवृत्तियाँ है, उनके प्रति इन्होंने अपनी कहानियों में प्रबल विरोध जताया है। मार्कण्डेय का सामाजिक जीवन से प्रत्यक्ष तादात्म्य है। अतरू इन्होंने अपनी कहानियों में सामाजिक समस्याओं को सहज रूप में उजागर किया है जिसमें शोषित वर्ग के विविध पक्षों के समस्याओं, संघर्षों एवं विषमताओं का चित्रण हुआ है।

References

- मार्कण्डेय- ‘हंसा जाई अकेला’, पृ.61

- मार्कण्डेय- ‘महुए का पेड़’, पृ.133

- मार्कण्डेय- ‘दोने की पत्तियाॅं’, पृ.40

- मार्कण्डेय- ‘चाॅंद का टुकड़ा’, पृ.75

- मार्कण्डेय- ‘हंसा जाई अकेला’, पृ.60

- मार्कण्डेय- ‘चाॅंद का टुकड़ा’, पृ.75

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Published

2024-09-19
CITATION
DOI: 10.36676/irt.v10.i3.1493
Published: 2024-09-19

How to Cite

मोनिका उपाध्याय, & डाॅ. साधना दीक्षित. (2024). मार्कण्डेय के कथा साहित्य में अमानवीयता और उत्पीड़न के विरोध का यथार्थवादी चित्रण. Innovative Research Thoughts, 10(3), 180–182. https://doi.org/10.36676/irt.v10.i3.1493