प्रभा खेतान के साहित्य में ‘स्त्रीत्ववाद’ में चेतना का स्वरूप

Authors

  • मोनिका उपाध्याय शोध छात्रा (हिन्दी विभाग) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) शोध केन्द्र: शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरैना
  • डाॅ. साधना दीक्षित प्रोफेसर (हिन्दी विभाग) शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुरैना (म.प्र.)

DOI:

https://doi.org/10.36676/irt.v10.i3.1492

Keywords:

स्त्रीत्ववाद

Abstract

स्त्री का व्यक्तित्व बदलती हुई संवेदनाआंे के अनगिनत आयामांे मंे विकसित हुआ है। सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक स्तर पर हमारे देश के मानवाधिकारांे मंे कुछ बदलाव भी संभव हुए हैं। सामाजिक सम्बन्धांे मंे परिवर्तन को भी सहसा ही लक्षित किया जा सकता है। वर्तमान मंे स्त्री सजग हुई है, आत्मनिर्भर हुई है और अपने अधिकारांे के प्रति संचेतना के निर्माण के निरन्तर प्रयासों मंे लीन है। इस संदर्भ मंे वर्षों पूर्व महादेवी वर्मा की ‘श्रृंखला की कड़ियाॅं’ मंे वर्णित एक प्रसंग मंे वे कहती हैं, ‘स्त्री स्वतंत्रता का आकार स्त्रियोचित गुणांे के आधार पर होना चाहिए।

References

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Published

2024-09-19
CITATION
DOI: 10.36676/irt.v10.i3.1492
Published: 2024-09-19

How to Cite

मोनिका उपाध्याय, & डाॅ. साधना दीक्षित. (2024). प्रभा खेतान के साहित्य में ‘स्त्रीत्ववाद’ में चेतना का स्वरूप. Innovative Research Thoughts, 10(3), 176–179. https://doi.org/10.36676/irt.v10.i3.1492