लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की राष्ट्रीय चेतना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

Authors

  • राम जुवारी पी. एच. डी. शोधार्थी इतिहास विभाग, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, (म०प्र०)
  • डॉ० श्रीमती सुधा सोनी प्राध्यापक इतिहास विभाग शासकीय कन्या स्नातकोत्तर, महाविद्यालय रीवा (म०प्र०)

Keywords:

राष्ट्रीय, स्वतंत्रता, संग्राम, योगदान, भारतीय राजनितिक चेतना

Abstract

स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक बाल गंगाधर तिलक लोकमान्य तिलक जन्म से केशव गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता तिलक ही थे। हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता और अशान्ति के पिता के नाम से कहलाये जाने वाले तिलक ने भारत के संघर्ष के दौरान भविष्य क्रांतिकारियों के लिए "स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा" नारा दिया था जो बहुत प्रसिद्ध हुआ और स्वतंत्रता के लिए एक प्रेरणा के रूप में इसने कार्य किया।

References

विनोद तिवारी (2005) बाल गंगाधर तिलक, मनोज पब्लिकेशन, नई दिल्ली, पृ. 45-54।

स्चिन सिनहल (2005) बाल गंगाधर तिलक,जेनेरिक पब्लिकेशन, नई दिल्ली, पृ. 23-27।

मीना अग्रवाल (2017)लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, डायमंड बुक्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली, पृ. 51-55।

धमोरा. (2018). भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वास्तुकार के रूप में जाने जाते हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

धमोरारमेश सर्राफ. (2018). स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, कहने वाले तिलक पर लगा था राजद्रोह.

जहा, प.(2014). बाल गंगाधर तिलक का वो भाषण जिसमें उन्होंने कहा “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है.”

लोकमान्य टिळक ने ही गणेश उत्सव की शुरुआत की।"पूर्ण स्वराज के लिए लड़ने वाले लोकमान्य टिळक का जन्म दिन है आज". पत्रिका समाचार समूह. १ अगस्त २०१४. मूल से अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ अगस्त २०१४.

Downloads

Published

2022-03-30

How to Cite

राम जुवारी, & डॉ० श्रीमती सुधा सोनी. (2022). लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की राष्ट्रीय चेतना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य. Innovative Research Thoughts, 8(1), 20–25. Retrieved from http://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1096